“जश्न-ए-विरासत” का शानदार समापन, सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में किया गया “चक्रव्यूह” का भव्य मंचन

“जश्न-ए-विरासत” का शानदार समापन, सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में किया गया “चक्रव्यूह” का भव्य मंचन

उत्सव ग्रुप की प्रस्तुति के साथ मनाया गया राज्य स्थापना दिवस, लोक संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डा. राकेश भट्ट को दिया एक लाख का नगद पुरस्कार

देहरादून। वरदान संस्था और तस्वीर आर्ट के तत्वावधान में आयोजित उत्तराखंड उदय राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव “जश्न-ए-विरासत” का शनिवार को समापन हो गया। अंतिम दिन सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में उत्सव ग्रुप, उत्तराखंड की टीम ने लोक नाट्य चक्रव्यूह की गढ़वाली बोली में शानदार प्रस्तुति दी। वरदान संस्था ने लोक संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डा. राकेश भट्ट को उत्तराखंड उदय सम्मान प्रदान किया, जिसके तहत उन्हें एक लाख रुपये का नगद पुरस्कार दिया गया।
शनिवार को सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी, स्कूल के प्रबंध निदेशक विपिन बलूनी, दून डिफेंस एकेडमी के निदेशक संदीप गुप्ता, फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के कन्वीनर अनिल मारवाह, डिस्ट्रिक्ट चेयर रोटरी डा. जागृति नवानी, वरदान संस्था के संरक्षक डा. सुनील अग्रवाल व राजेंद्र प्रसाद सती और महासचिव अनिल चन्दोला ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उत्सव ग्रुप के कलाकारों ने महाभारत के 13वें दिन की कथा का चक्रव्यूह के रूप में मंचन किया। अर्जुन को युद्धभूमि से दूर भेजने के बाद कौरव पांडवों को घेरने के लिए चक्रव्यूह की रचना करते हैं। पांडवों में से कोई भी चक्रव्यूह भेदना नहीं जानता।

ऐसे में 16 वर्षीय वीर अभिमन्यु चक्रव्यूह तोड़ने के लिए जाने की बात कहते हैं।
सभी उनको मनाते हैं कि वह ना जाएं लेकिन अभिमन्यु कहते हैं कि पांडव कुल के मान-सम्मान की रक्षा के लिए उन्हें जाना ही होगा। इसके बाद उनके चक्रव्यूह में जाने और द्वार तक पहुंचकर उन्हें तोड़ने की कथा का मंचन किया गया। कौरव धोखे से उन्हें मार देते हैं, जिसके बाद अर्जुन उसकी हत्या करने वालों का संहार करने का प्रण लेते हैं। इसके साथ ही नाटक का समापन होता है। उत्सव ग्रुप के कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय, संवाद और भाव-भंगिमाओं से स्कूल मैदान में महाभारत युद्ध का सजीव वर्णन किया। युद्ध और अर्जुन प्रतिज्ञा के दृश्यों को देखकर वहां मौजूद करीब चार हजार छात्र-छात्राएं, अध्यापक व दर्शक रोमांचित हो उठे।

बंशीधर तिवारी ने कहा कि युवा पीढ़ी को उसकी गौरवशाली संस्कृति और ऐतिहासिक व धार्मिक घटनाओं से जोड़ने में चक्रव्यूह जैसी प्रस्तुतियां सहायक सिद्ध होती है। इसके मंचन से छात्र-छात्राओं को महाभारत के उस प्रसंग को आसानी से समझने में मदद मिली होगी। छात्र-छात्राओं को भावनात्मक रूप से उनकी जड़ों से जोड़ने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करना बेहद जरूरी है।

लोक संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जीत चुके डा. राकेश भट्ट को वरदान संस्था ने उत्तराखंड उदय सम्मान प्रदान किया। इसके तहत उन्हें प्रमाण पत्र और एक लाख रुपये का चेक प्रदान किया गया। इस अवसर पर वरदान संस्था के कोषाध्यक्ष भोपाल सिंह चौधरी, बीना चौधरी, अलका सती, प्रभा चन्दोला, वेदा अनंतजेयता, विवेक बड़थ्वाल, विवेक कौशिक, संजय मेवाड़ समेत अन्य मौजूद रहे।

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