फैक्ट्री में नशीली दवाएं बना रहे तीन गिरफ्तार, फूड लाइसेंस की आड़ में कर रहे थे खेल, दो अब भी फरार

फैक्ट्री में नशीली दवाएं बना रहे तीन गिरफ्तार, फूड लाइसेंस की आड़ में कर रहे थे खेल, दो अब भी फरार

देहरादून। फूड लाइसेंस लेकर फैक्ट्री में नशीली दवाएं बनाने का भंडाफोड हुआ है। औषधि विभाग, पुलिस और नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने संयुक्त रूप से छापेमारी कर बड़ी मात्रा में दवाएं, कच्चा माल और पैकेजिंग का सामान बरामद किया है। मौके से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, दो आरोपी फरार चल रहे हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।

सहसपुर की लांघा रोड स्थित ग्रीन हर्बल कंपनी की फैक्ट्री में नकली दवाएं बनाए जाने की सूचना मिलने के बाद छापेमारी की कार्रवाई की गई। कंपनी को फूड लाइसेंस मिला था लेकिन वहां गैर-कानूनी ढंग से दवाओं का निर्माण किया जा रहा था। इन दवाओं का इस्तेमाल नारकोटिक्स एक्ट के तहत किया जाता है। इस दौरान संयुक्त टीम ने फैक्ट्री से 1921 कैप्सूल/टैबलेट, सिरप आदि की 592 बोतलें और 342 खाली रैपर बरामद किए।

 सूचना के बाद की गई छापेमारी की कार्रवाई

औषधि नियंत्रक, उत्तराखंड ताजबर जग्गी के अनुसार सूचना मिली थी कि लांघा रोड पर हर्बल ग्रीन फैक्ट्री में नशे में प्रयोग के लिए दवाओं का निर्माण किया जा रहा है। सूचना पर औषधि विभाग, दून पुलिस और एएनटीएफ की टीम ने छापा मारा। पता चला कि हर्बल ग्रीन फैक्ट्री के पास फूड लाइसेंस है, जो वर्ष 2023 में प्राप्त किया गया था। जिन नारकोटिक्स दवाओं का वहां निर्माण किया जा रहा था, उसका लाइसेंस ही नहीं था। लिहाजा, फैक्ट्री और उसमें किया जा रहा निर्माण फर्जी माना जाएगा। दवाओं को जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) भेजा जा रहा है, जहां उनमें प्रयुक्त सॉल्ट और अन्य तत्वों का परीक्षण किया जाएगा।

तीन आरोपी गिरफ्तार, दो मौके से फरार

छापेमारी के दौरान संजय कुमार, निवासी ग्राम-मुसकीपुर, जिला-सहारनपुर (हाल निवासी – टीचर कालोनी, सहसपुर), शिव कुमार, हाल निवासी – प्रगति विहार, सेलाकुई और रहमान, निवासी – ग्राम भूसी, जिला चंदौली (हाल निवासी – परवल, उमेदपुर) को गिरफ्तार किया गया। वहीं, कन्हैया और ऋषभ की तलाश की जा रही है। सभी फैक्ट्री संचालक और पार्टनर की भूमिका में हैं। नारकोटिक्स दवा बनाने के लिए प्रयुक्त उपकरण भी कब्जे में लिए गए हैं। कार्रवाई करने वाली टीम में ड्रग इंस्पेक्टर मानवेंद्र राणा, एफडीए विजिलेंस से जगदीश रतूड़ी, संजय सिंह नेगी समेत स्थानीय पुलिस और एएनटीएफ के कार्मिक शामिल रहे।

नशे के लिए किया जाता है दवाओं का दुरुपयोग

ड्रग कंट्रोलर ताजबर जग्गी ने बताया कि उक्त फैक्ट्री में जिन दवाओं का निर्माण फूड लाइसेंस पर चल रहा था, वह साइको ट्रैपिक (मन प्रभावी) हैं। इनका अधिक सेवन व्यक्ति को नशे की हालत में ले आता है। नशे के विकल्प के रूप ऐसी दवाओं का चलन बढ़ रहा है। लोग नशे के लिए इन दवाओं का दुरुपयोग करते हैं।

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