संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बनने का विरोध
नई दिल्ली। बजरंग पुनिया द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटाने के एक दिन बाद, 2005 ग्रीष्मकालीन डिफ्लंपिक्स के स्वर्ण पदक विजेता वीरेंद्र सिंह यादव ने घोषणा की कि वह बृज भूषण सिंह के करीबी सहयोगी संजय सिंह के भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने विरोध में भी ऐसा ही करेंगे। वीरेंद्र सिंह यादव, जिन्हें गूंगा पहलवान के नाम से भी जाना जाता है, को 2021 में प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार मिला। इससे पहले, उन्हें 2015 में प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
पुनिया ने विरोध स्वरूप पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री आवास के पास फुटपाथ पर रख दिया और वहां से चले गए। पुनिया ने दिल्ली पुलिस से कहा, मैं पद्मश्री पुरस्कार उस व्यक्ति को दूंगा जो इसे पीएम मोदी तक लेकर जाएगा। ट्विटर पर अपना पद्मश्री लौटाने के फैसले की घोषणा करते हुए, वीरेंद्र ने क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर और स्टार-भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा से खिलाडिय़ों और डब्ल्यूएफआई के बीच चल रहे मतभेद पर अपना निर्णय देने के लिए भी सवाल किया।
वीरेंद्र सिंह ने एक्स पर लिखा, मैं अपनी बहन और देश की बेटी के लिए पद्मश्री सम्मान भी लौटाऊंगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर। मुझे आपकी बेटी और मेरी बहन साक्षी मलिक पर गर्व है।
गुरुवार को, 2016 रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के रूप में संजय सिंह के चुनाव के बाद कुश्ती छोडऩे की घोषणा की। साक्षी ने रोते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस छोडऩे से पहले अपने जूते उतारकर मंच पर रख दिए। भावुक साक्षी ने कहा, मैं निराश हूं और अब कुश्ती में प्रतिस्पर्धा नहीं करूंगी।
खेल मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के रूप में संजय सिंह के चुनाव के विरोध में बजरंग पुनिया का पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का फैसला व्यक्तिगत है, लेकिन फिर भी उन्हें इस कदम पर पुनर्विचार करने के लिए मनाने की कोशिश की जाएगी। मंत्रालय के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया, पद्मश्री लौटाना बजरंग पुनिया का निजी फैसला है। डब्ल्यूएफआई चुनाव निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से हुए थे। उन्होंने कहा, हम अब भी बजरंग को पद्मश्री लौटाने के अपने फैसले को पलटने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे।