डिजिटल तकनीक के उपयोग से उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे- राज्यपाल
सभी सरकारी व तीन निजी विवि ने दिया प्रस्तुतिकरण
देहरादून। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल तकनीकी के प्रभावी उपयोग केे संबंध में को वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय(यूटीयू) की ओर से विश्वविद्यालय सभागार में सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार में उत्तराखण्ड के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों सहित 03 निजी विश्वविद्यालयों द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभावी प्रयोग के संबंध में मंथन किया। इस सेमिनार में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद(नैक) के पूर्व निदेशक प्रो. ए. एन. राय सेमिनार में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर राजकीय विश्वविद्यालयों के सभी कुलपतियों ने विश्वविद्यालयों में डिजिटल तकनीकी के उपयोग एवं भावी कार्ययोजना के बारे में बारी-बारी से प्रस्तुतिकरण दिया।
राज्यपाल ने इस पहल के लिए यूटीयू की सराहना की और कहा कि उनके प्रयासों से सभी विश्वविद्यालयों को एक मंच पर लाया गया है। उन्होंने ने कहा कि सेमिनार में हुए चिंतन एवं मंथन के निश्चित ही सार्थक परिणाम निकलेंगे। राज्यपाल ने कहा कि डिजिटल तकनीकी के प्रभावी उपयोग के माध्यम से उच्च शिक्षा में एक क्रांति लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी प्रत्येक चुनौती का समाधान है जिसका उपयोग टर्निंग प्वाइंट और गेम चेंजर साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, परीक्षा प्रणालियों को हर एक स्तर पर मजबूत करने के साथ-साथ मूल्यांकन प्रणाली में पूर्ण निष्पक्षता और पारदर्शिता लायी जा सकती है।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में टेक्नोलॉजी के उपयोग से जहां कार्यकुशलता में वृद्धि होगी वहीं पारदर्शिता भी बढे़गी। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि प्रत्येक विश्वविद्यालय ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उनकी क्षमता अनुसार कार्य किए हैं उन्होंने इसमें और जोर दिए जाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि आज के समय में डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत तेजी से बदलाव आ रहे हैं हमें अपने आप को उसी अनुरूप ढालने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति के इस युग में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय डिजिटल व्यवस्थाओं और आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस आधारित प्रणालियों को सर्वसुलभ बनाने की दिशा में आगे बढें। उन्होंने कहा कि आज के सेमिनार के माध्यम से उत्तराखण्ड में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी को बढ़ाने के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को बल मिलेगा। सेमिनार में नैक के पूर्व निदेशक प्रो. ए. एन. राय ने उच्च शिक्षा में मूल्यांकन और मान्यता की भूमिका से सम्बन्धित प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने नैक में उच्च शिक्षा में हो रहे बदलावों पर अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि देश में शिक्षा को निःशुल्क नही किया जा सकता बल्कि महंगी गुणवत्ताहीन शिक्षा की जगह सस्ती गुणवत्तापरक शिक्षा की और ध्यान दिये की आवश्यकता है।
सचिव राज्यपाल रविनाथ रमन ने भी उच्च शिक्षा में डिजिटल टेक्नोलॉजी की उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में कुलपति यूटीयू प्रो0 ओंकार सिंह ने बताया कि राज्यपाल, उत्तराखण्ड की पहल पर विश्वविद्यालय ने इस सेमिनार को आयोजित किया है तथा भविष्य में भी विश्वविद्यालय द्वारा उच्च शिक्षा में वृद्धि तथा उच्च शिक्षा को बेहतर किये जाने के उद्देश्य से इस प्रकार के सेमिनार आयोजित करता रहेगा। प्रो0 ओंकार सिंह ने कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के उत्तराखण्ड की उच्च शिक्षा में अध्ययनरत छात्रों के लिए विश्वविद्यालय में जिम्मेदार, पारदर्शी एवं उत्कृष्ट शैक्षणिक वातावरण लाने के प्रयासों के अंतर्गत इस सेमिनार से सभी विश्वविद्यालयों में बेस्ट प्रैक्टिसेज को आपस में साझा करने का अवसर मिलेगा जिससे प्रदेश की उच्च शिक्षा में गुणवत्ता परिवर्तन लाने में गति मिलेगी।
सेमिनार में कुलपति उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय प्रो. ओंकार सिंह, कुलपति उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय डॉ.ओ.पी.एस नेगी, कुलपति श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय प्रो. एन. के. जोशी, कुलपति.बी.पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय डॉ. मनमोहन चौहान, कुलपति आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी, कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री, कुलपति चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो. हेमचन्द्र, कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय प्रो. दीवान सिंह रावत, कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो. सुरेखा डंगवाल, कुलपति औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय प्रो. परविंदर कौशल, कुलपति उत्तरांचल विश्वविद्यालय प्रो. धर्मबुद्धि सहित सभी राजकीय विश्वविद्यालयों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहें।