भारत डोगरा मई 2005 में जब भारतीय संसद ने सूचना के जन-अधिकार का राष्ट्रीय स्तर का कानून पास किया तो लोकतंत्र को सशक्त करने वाले एक महत्त्वपूर्ण कानून के रूप में इसकी सराहना की गई। कई तरह के उतार-चढ़ाव के बाद अंत में भारत में जो राष्ट्रीय स्तर का कानून पास हुआ वह थोड़ी-बहुत कमियों […]
विकास और प्रतिष्ठा के आधार पर मतदान की संभावना
डा. रवीन्द्र अरजरिया चुनावी काल की राजनैतिक सरगर्मियों के मध्य विदेशी ताकतों के व्दारा देश की आन्तरिक व्यवस्था पर टिप्पणियों का दौर प्रारम्भ हो गया है। दुनिया की व्यवस्था की स्वयंभू ठेकेदारी सम्हालने वाले भारत के स्वरूप को अपने ढंग से नियंत्रित करने का प्रयास करने लगे हैं। स्वाधीनता के बाद की इण्डिया का भारत […]
दिल्ली में क्या होगा उप राज्यपाल का अगला कदम
भारत में रोजगार के अवसर
मुद्दा- महिलाओं में जागरूकता
कमलेश जैन पिछले 30-35 वर्षो में जैसे-जैसे स्त्रियों में जागरूकता आई है, नये कानूनों के प्रति वैसे-वैसे उनके अंदर सदियों से दबे-कुचले होने, दोयम दर्जे की नागरिक होने का अहसास गहराया है। पहले वे इसे अपनी नियति मानती थीं, पर अब अधिकार। यह अधिकार खासकर शहरी, शिक्षित स्त्रियों ने समझा है। वे इस अधिकार को […]
केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ रैली
विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ देश के हितों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए 31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेगा।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले के संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बृहस्पतिवार 21 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद आप की […]
मैं हूं मोदी का परिवार- विपक्ष का विरोध हास्यास्पद
मौसम की मार से त्रस्त जनजीवन
शक्ति की असल शक्ति
निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव की दिशा में उचित कदम
संध्या लोकतंत्र में दलीय विचारधारा के आधार पर एक-दूसरे की नीतियों से असहमति हो सकती है लेकिन जब पार्टियों के समर्थक मामूली बात पर आमने-सामने होते दिखें तो चुनाव आयोग के सुरक्षा बंदोबस्तों की परीक्षा भी होती है। एक वक्त था जब लोकतांत्रिक देशों में भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना बड़ी चुनौती थी। भारत […]