अनिल चन्दोला
देहरादून। उत्तराखंड में लोक सभा चुनाव 2024 के लिए तीन सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी भाजपा के लिए नया सिरदर्द पैदा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्रियों की फौज ने प्रदेश भाजपा नेतृत्व के सामने नई परेशानी खड़ी कर दी है। पार्टी के लिए इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को “एडजस्ट” कर पाना खासा मुश्किल साबित हो रहा है। लोक सभा चुनाव से पहले यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ गई है।
उत्तराखंड में अब तक 10 नेताओं को मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला है। इसमें से सात भाजपा और तीन कांग्रेस से चुने गए। हालांकि उनमें से एक विजय बहुगुणा भी अब भाजपा के खेमे में शामिल हैं। दो पूर्व मुख्यमंत्रियों नित्यानंद स्वामी व नारायण दत्त तिवारी का निधन हो चुका है। मे.ज. भुवन चंद्र खंडूड़ी का स्वास्थ्य बहुत बेहतर नहीं है, जिस कारण उनकी सक्रियता भी नहीं है। लेकिन भाजपा में शामिल बाकि सभी पूर्व मुख्यमंत्री पूरी तरह सक्रिय नजर आते हैं। मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल रह चुके भगत सिंह कोश्यारी भी लगातार जनता के बीच बने हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद हैं।
भाजपा नेतृत्व जिस तरह से देशभर में टिकट वितरण कर रहा है, उस लिहाज से इन दोनों को फिर मौका मिलना मुश्किल ही लग रहा है। माना जा रहा है कि हरिद्वार या पौड़ी गढ़वाल सीट से पार्टी किसी एक पूर्व मुख्यमंत्री को मैदान में उतार सकती है। इस मामले में फिलहाल त्रिवेंद्र सिंह रावत को बढ़त मिलती दिख रही है। उनका हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल दोनों ही सीटों पर दावा है। पार्टी के सामने एक और चुनौती अपने राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी को एडजस्ट करने की भी है। इसलिए माना जा रहा है कि वह पौड़ी से पार्टी के प्रत्याशी हो सकते हैं। ऐसा हुआ तो त्रिवेंद्र सिंह रावत हरिद्वार से मैदान में उतरेंगे।
इसके बाद पार्टी को पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, डा. रमेश पोखरियाल निशंक और तीरथ सिंह रावत के एडजस्टमेंट को लेकर सोचना होगा। इन कद्दावर नेताओं को पार्टी प्रदेश में ही कोई जिम्मेदारी देती है या उन्हें कहीं और एडजस्ट किया जाएगा, यह सवाल सभी के जेहन में है। पूर्व मुख्यमंत्री भी अपनी भूमिका को लेकर असमंजस में हैं। हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही इसको लेकर स्थिति काफी कुछ स्पष्ट हो जाएगी कि पार्टी तुरंत किसका पुनर्वास करने जा रही है।