श्रीनगर गढ़वाल। तस्वीर आर्ट ग्रुप और वरदान संस्था के संयुक्त तत्वावधान में सातवें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव “जश्न-ए-विरासत” का मंगलवार को रंगारंग आगाज हुआ। पहले दिन लीला थिएटर ग्रुप दिल्ली की टीम ने “खालिद की खाला” नाटक का शानदार मंचन कर दर्शकों की तालियां बटोरी। आज दूसरे दिन गढ़वाल विश्वविद्यालय की लोक कला निष्पादन केंद्र की टीम अपने नाटक की प्रस्तुति देगी।
मंगलवार को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के चौरास परिसर स्थित मिनी ऑडिटोरियम में मुख्य अतिथि देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी, प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी प्रो. (डॉ.) डीआर पुरोहित, विमल बहुगुणा, प्रेम मोहन डोभाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में विनोद कंडारी ने कहा कि “जश्न-ए-विरासत” पिछले कई वर्षों से श्रीनगर और चौरास क्षेत्र के लोगों को एक से बढ़कर एक नाटकों का तोहफा दे रहा है। परवेज अहमद समेत आयोजन समिति से जुड़े सभी लोग दिन-रात मेहनत कर इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान देते हैं। उनके प्रयासों का नतीजा है कि हमें इतने बेहतरीन नाटक देखने को मिल रहे हैं।
कार्यक्रम संयोजक परवेज अहमद ने बताया कि 2006 से “जश्न-ए-विरासत” कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। समारोह में भोपाल के नया थियेटर, जम्मू के नटरंग, उज्जैन के रंगमहल, दिल्ली के अस्मिता थिएटर ग्रुप, चंडीगढ़ के अलंकार और उत्तर प्रदेश के विमर्श थिएटर ग्रुप जैसे प्रतिष्ठित संगठनों ने अपने नाटकों का मंचन किया है। उन्होंने कहा कि महोत्सव के माध्यम से नई पीढ़ी में सृजनात्मक का बीज बोने का जो प्रयास कई वर्ष पूर्व शुरू किया गया था, उसके सुखद परिणाम अब आने लगे हैं। नए युवाओं में थिएटर के प्रति प्रेम लगातार बढ़ रहा है।
वरदान के महासचिव अनिल चन्दोला ने कहा कि “जश्न-ए-विरासत” आज पूरे गढ़वाल क्षेत्र का एक प्रतिष्ठित समारोह बन चुका है। सभी कला प्रेमी इस कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर उत्सुक रहते हैं। पूरे वर्ष कलाप्रेमियों को इस आयोजन का इंतजार रहता है, यही इसकी सफलता पर जनता की मोहर है।
आयोजन में गिरीश पैन्यूली, डॉ. संजय पांडे, पंकज मैंदोली, महेश गिरी, नरेश खंडूरी समेत अन्य ने सहयोग दिया।
डाक टिकट और फोटो प्रदर्शनी रही आकर्षण का केंद्र
नाट्य महोत्सव के दौरान डाक टिकट और फोटो प्रदर्शनी ने भी दर्शकों का खूब ध्यान खींचा। श्रीनगर के संजय कुमार ने महोत्सव के दौरान डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगाई। उन्होंने बताया कि आजादी से पूर्व और आजादी के बाद के डाक टिकटों का संग्रह उनके पास मौजूद है, जो प्रदर्शनी में रखे गए हैं। इसके अलावा फोटो प्रदर्शनी को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया।