आशा और भाजपा की मेहनत हुई कामयाब, मनोज रावत के अरमानों पर निर्दलीय त्रिभुवन ने फेरा पानी

आशा और भाजपा की मेहनत हुई कामयाब, मनोज रावत के अरमानों पर निर्दलीय त्रिभुवन ने फेरा पानी

अनिल चन्दोला

देहरादून। केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा की आशा नौटियाल ने शानदार जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत को 5622 वोटों के अंतर से शिकस्त दी। आशा नौटियाल की व्यक्तिगत छवि और भाजपा संगठन की मजबूती इस जीत का आधार बनीं। वहीं, कांग्रेस बदरीनाथ और मंगलौर वाले प्रदर्शन को दोहराने में नाकाम साबित हुई। निर्दलीय त्रिभुवन सिंह चौहान ने नौ हजार से ज्यादा वोट हासिल कर कांग्रेस के मनोज रावत के लिए मुश्किलें खड़ी की, जिसका नुकसान उन्हें हार के रूप में झेलना पड़ा।

शैलारानी रावत के निधन के बाद खाली हुई सीट पर भाजपा ने पिछले कई चुनावों से चली आ रही परिपाटी को बदलते हुए परिवार से इतर टिकट दिया। पिछले कई चुनावों के दौरान भाजपा ने मृतक विधायकों के परिजनों को ही टिकट दिया था। भाजपा ने दो बार विधायक रह चुकीं आशा नौटियाल पर दांव लगाया। पार्टी ने हमेशा की तरह पूरी मजबूती से चुनाव लड़ा। खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मोर्चा संभाला और अपनी कैबिनेट के कई सहयोगियों के साथ केदारनाथ में पार्टी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित की। भाजपा संगठन पूरी तन्मयता के साथ चुनाव की तैयारियों में जुटा रहा। वहीं, आशा नौटियाल को मृदुभाषी होने और पूर्व में कराए गए कार्यों का भी फायदा मिला।

मंगलौर और बदरीनाथ में मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस ने भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा। लंबे समय बाद पार्टी के कई वरिष्ठ नेता एक साथ नजर आए। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, मंत्री प्रसाद नैथानी, गोविंद सिंह कुंजवाल समेत कई बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार किया और मनोज रावत के लिए वोट मांगे। मनोज रावत पूर्व विधायक होने के साथ ही क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा मुखर रहने वाले प्रत्याशी के रूप में जाने जाते रहे। हालांकि उन्हें निर्दलीय त्रिभुवन चौहान के लड़ने का नुकसान झेलना पड़ा, जो नौ हजार से ज्यादा वोट हासिल करने में कामयाब रहे। त्रिभुवन ने ज्यादातर कांग्रेस और मनोज रावत के वोट बैंक में सेंधमारी की।

आशा ने शुरूआत से ही बनाई बढ़त, अंत तक रही कायम

भाजपा की आशा नौटियाल ने 13 चरणों में हुई मतगणना के पहले चरण से ही बढ़त बना ली, जो आखिर तक कायम रही। पहले चरण के बाद उनके वोटों की संख्या 1398, दूसरे के बाद 3286, तीसरे के बाद 4821, चौथे के बाद 6765, पांचवें के बाद 8555, छठवें के बाद 10153, सातवें के बाद 12069, आठवें के बाद 13696, नौवें के बाद 15833, दसवें के बाद 18139, 11वें के बाद 20078, 12वें के बाद 22331 और 13वें के बाद 23130 तक पहुंच गई।

मनोज रावत और त्रिभुवन के बीच हुई कांटे की टक्कर

भाजपा की आशा नौटियाल जहां पहले चरण से ही लीड पर चल रहीं थीं, वहीं, कांग्रेस के मनोज रावत और निर्दलीय त्रिभुवन सिंह चौहान के बीच शुरूआती चरणों में कांटे की टक्कर रही। पहले चरण में त्रिभुवन चौहान को 1185 और मनोज रावत 915 वोट मिले। दूसरे चरण में मनोज रावत 2281 व त्रिभुवन 2037 वोट तक पहुंच गए। तीसरे चरण में मनोज रावत 3231 व त्रिभुवन चौहान 2972, चौथे चरण में मनोज 4376 व त्रिभुवन 4912, पांचवें चरण में मनोज 6028 व त्रिभुवन 6489, छठवें चरण में मनोज 7292 और त्रिभुवन 7189 वोट तक पहुंच गए। हालांकि इसके बाद मनोज रावत ने उन पर लीड बनानी शुरू की। मनोज रावत को इसके बाद लगभग सभी चरणों में हजार या उससे ज्याद वोट मिले। जबकि त्रिभुवन अगले सात चरणों में कुल दो हजार से कुछ ज्यादा ही वोट हासिल कर पाए।

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