म्यांमार सीमा पर चुनौती

म्यांमार सीमा पर चुनौती

इस बीच म्यांमार के अंदर की घटनाएं और भी ज्यादा चिंता का कारण बन रही हैं। म्यांमार के कई हिस्सों में विद्रोह से जूझ रहे सैन्य शासन के लिए नई चुनौतियां पेश आ रही हैं। इससे भारत की सीमाई चुनौती ज्यादा गंभीर हुई है।

यह खबर भारत के लिए चिंताजनक है कि म्यांमार के पश्चिमी रखाइन प्रांत में सक्रिय एक नस्लीय हथियारबंद गुट ने भारत-बांग्लादेश सीमा के पास एक शहर पर कब्जा कर लिया है। सशस्त्र समूह अराकान आर्मी ने यह दावा किया है। इस गुट ने जिस शहर को कब्जा करने का दावा किया है उसका नाम पालतेवा है। म्यांमार से लगी सीमा पहले से भारत के लिए सिरदर्द बनी हुई है। मणिपुर में जारी हिंसा के क्रम में इसकी चर्चा हुई है। बल्कि यह खबर भी आई थी कि भारत सरकार ने म्यांमार से लगी सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला किया है। लेकिन उसका मिजोरम सरकार ने जोरदार विरोध किया है। सीमाई इलाकों में आर-पार समान जनजातीय समुदाय रहते हैं, जिनके बीच आपसी रिश्ते हैं। ये लोग सीमा को पार कर एक से दूसरी तरफ आते-जाते रहते हैं। इसलिए 1970 के दशक से भारत ने वहां इस मामले में उदार नीति अपना रखी है। लेकिन अब उस पर पुनर्विचार हो रहा है।

इस बीच म्यांमार के अंदर की घटनाएं और भी ज्यादा चिंता का कारण बन रही हैं। म्यांमार के कई हिस्सों में विद्रोह से जूझ रहे सैन्य शासन के लिए नई चुनौतियां पेश आ रही हैं। हाल में म्यांमार में सैनिक शासन विरोधी गुटों ने कई सैन्य चौकियों और कस्बों पर नियंत्रण कर लिया है। ताजा घटना भी उसी सिलसिले से जुड़ी हुई है। अराकान आर्मी के एक प्रवक्ता ने कहा कि उसने पालतेवा शहर पर कब्जा कर लिया है। कलादान नदी के तट पर स्थित यह शहर पड़ोसी देशों के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है। अराकान सेना का दावा है कि उसके पास लगभग 30,000 हथियारबंद लोग हैं और यह सरकार विरोधी त्रिपक्षीय ब्रदरहुड अलायंस का हिस्सा हैं। इस घटना से सीमाई इलाकों में एक नई परिस्थिति बनेगी। विद्रोही गुटों ने कुछ समय पहले चीन की सीमा से लगे एक प्रांत पर कब्जा कर लिया था। तब चीन ने मध्यस्थता की। नतीजतन, विद्रोही गुट और सैन्य शासन के बीच एक करार हुआ। इस तरह चीन ने अपने सुरक्षा हितों की रक्षा की। क्या भारत को भी ऐसी पहल नहीं करनी चाहिए?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top