बारिश- बर्फबारी की कमी से सूखे का संकट, किसान हो रहे परेशान, पर्यटक मायूस

बारिश- बर्फबारी की कमी से सूखे का संकट, किसान हो रहे परेशान, पर्यटक मायूस

पिथौरागढ़। उत्तराखंड के विभिन्न शहरों में मौसम की बेरुखी जारी है। मैदानी शहरों में कोहरे के सितम से लोग परेशान हैं तो दूसरी ओर, पर्वतीय इलाकों में पाले से लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गईं हैं। जनवरी माह के दो हफ्ते बीतने के बाद बर्फबारी तो दूर लोग बारिश तक के लिए तरस गए हैं। इससे पर्यटक तो मायूस हैं ही किसानों की मेहनत भी बेकार हो गई है। सब्जी, फल उत्पादकों को भी मौसम की मार ने कहीं का नहीं छोड़ा है। वर्ष 2023 में जनवरी में पिथौरागढ़ में 20.10, गंगोलीहाट में 10.50, बेरीनाग में 13, डीडीहाट में 11 मिमी बारिश हुई। जबकि इस बार अभी तक किसी भी क्षेत्र में बारिश नहीं हुई है। जिले में सूखी ठंड से लोग बेहाल हैं, सुबह-शाम ठंड के प्रकोप से बचने के लिए लोग हीटर-अलाव का सहारा ले रहे हैं।

10 सालों में पहली बार जनवरी में इस तरह लोगों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2022 जनवरी में पिथौरागढ़ में 75.60 मिमी, गंगोलीहाट में 76 मिमी, बेरीनाग में सर्वाधिक 115 मिमी, डीडीहाट में 69.50 मिमी बारिश हुई। मुनस्यारी में 74 और धारचूला में 91.40 मिमी बारिश हुई। जनवरी 2021 में पिथौरागढ़ में 31.70 मिमी, गंगोलीहाट में 14.30 मिमी। बेरीनाग में 20.30 मिमी, डीडीहाट में सबसे कम 12.50 मिमी, मुनस्यारी में सर्वाधिक 44 व धारचूला में 26.80 मिमी बारिश हुई। 2020 में बेरीनाग में सर्वाधिक 167 मिमी व मुनस्यारी में 92.80 मिमी बारिश दर्ज हुई। 2019 के जनवरी माह में धारचूला में सर्वाधिक 112.60 मिमी व बेरीनाग में 46.80 मिमी बारिश दर्ज हुई।

2018 में हुई सबसे कम बारिश
पिछले सात वर्षों में 2018 के जनवरी में सबसे कम बारिश हुई। पिथौरागढ़ में 11.60 मिमी, गंगोलीहाट में 14, बेरीनाग में 9.70, डीडीहाट में 11, मुनस्यारी में 13 व सर्वाधिक 25 मिमी बारिश धारचूला में दर्ज हुई। 2017 में सर्वधिक मुनस्यारी में 48 मिमी व सबसे कम 15.50 मिमी बारिश हुई।

बारिश न होने से सब्जी व फसलों को नुकसान
बारिश नहीं होने से फसलों को नुकसान हो रहा है। सतगढ़ के किसान शेखर कापड़ी व सत्यालगांव के मनोहर ने बताया कि अधिकांश फसलें सूखने लगी हैं। जनवरी में हल्की बारिश का अंदेशा था अभी तक बारिश के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं बारिश नहीं होने से पेयजल स्रोतों में भी असर पड़ा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top