शिमला। हिमाचल प्रदेश की फल मंडियों में सेब के दाम में गिरावट आई है। सेब के दाम में प्रतिकिलो 20 से 50 रुपए की कमी आई है। इससे बागवानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, जबकि हाईट में अब सेब सीजन शुरू हुआ है। बागवानों का तर्क है कि अडानी एग्रोफ्रैश द्वारा रेट तय करने के बाद मंडियों में सेब के दाम में गिरावट आई है।
राज्य में इस साल सेब की पैदावार बहुत कम होने के कारण बागवानों को अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी लेकिन सेब सीजन में शुरू में तो प्रीमियम सेब 250 से 300 रुपए प्रति किलो तक बिका तथा 2 दिन पहले तक इसके दाम करीब 150 रुपए प्रति किलोग्राम थे लेकिन सोमवार को प्रीमियम क्वालिटी का सेब भट्टाकुफर फल मंडी में 100 से 110 रुपए प्रति किलोग्राम बिका। याद रहे कि कुछ दिन पूर्व ही अडानी ने प्रीमियम क्वालिटी सेब के दाम 95 रुपए प्रति किलो तय किए थे तथा भारी विरोध के बाद कंपनी ने गत दिन रविवार को इसके दाम बढ़ाकर 105 रुपए प्रति किलो कर दिए हैं।
हर साल दाम तय करने के बाद होती है गिरावट
बागवान आशुतोष चौहान ने कहा कि हर साल अडानी एग्रोफ्रैश के दाम तय करने के बाद फल मंडियों में सेब के दाम गिरते हैं। इस साल भी ऐसा ही हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार को अडानी द्वारा दाम तय करने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि बागवानों को नुकसान न उठाना पड़े।
फल मंडियों में ही सेब बेचें बागवान
सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने बागवानों से फल मंडियों में ही अपने सेब बेचने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि इस साल अडानी ने मंडियों की अपेक्षा सेब के कम दाम तय किए हैं। इस कारण मंडियों में भी दाम में गिरावट आई है। बागवान कंपनी को सेब न बेचें।