यूएनजीए अध्यक्ष ने सुरक्षा परिषद में सुधार का किया आग्रह

यूएनजीए अध्यक्ष ने सुरक्षा परिषद में सुधार का किया आग्रह

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा, यूक्रेन और गाजा में उथल-पुथल से प्रभावित दुनिया में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। शांति और सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के सबसे महत्वपूर्ण मंच का मूल्यांकन करते हुए असेंबली के वार्षिक चर्चा के बीच, फ्रांसिस ने गुरुवार को गहरे विश्वास के साथ कहा कि बुनियादी संरचनात्मक सुधार के बिना, परिषद की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता उत्तरोत्तर कम होती जाएगी।

उन्होंने कहा, दुनिया भर के क्षेत्रों में हिंसा और युद्ध फैल रहा है, जबकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पंगु होता जा रहा है।
उन्होंने कहा, दुनिया तेजी से बदल रही है, परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में असफल हो रही है। यूएनजीए अध्यक्ष ने रेखांकित किया कि परिषद में सुधार का सवाल 1979 से एजेंडे में है, दुनिया भर में बढ़ते संघर्ष के बीच सुधार की मांग बढ़ी है। सितंबर की वार्षिक उच्च-स्तरीय बहस में, परिषद में सुधार, इसकी सदस्यता का विस्तार सहित, मंच से एक आम बात थी।

हाल के यूक्रेन संकट और इजऱाइल-फिलिस्तीन संकट जैसे मामले में एक रूख पर सहमत होने में सुरक्षा परिषद की असमर्थता ने सुधार को और अधिक रेखांकित किया है। सुरक्षा परिषद ने 7 अक्टूबर को संकट उत्पन्न होने के बाद बुधवार को इजऱाइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर अपना पहला प्रस्ताव पारित किया। अपने भाषण में, फ्रांसिस ने सभा को चेतावनी दी कि सुरक्षा परिषद में गतिरोध अराजकता से निपटने जितना ही चुनौतीपूर्ण हो सकता है। उन्होंने सुधारों पर नए सोच का आग्रह करते हुए कहा, मैं इस प्रतिष्ठित सदन को आगाह करता हूं कि गतिरोध अराजकता जितना ही दुर्जेय शत्रु हो सकता है। हम उन स्थितियों को उपयोगी रूप से कायम नहीं रख सकते हैं, जो परिचित होते हुए भी हमें एक साथ लाने में विफल रहती हैं।

फ्रांसिस ने कहा, जिन तरीकों से हम विश्वास को बहाल कर सकते हैं, उनमें से एक है एकजुटता और सुलह को मजबूत करना और अगले साल भविष्य के शिखर सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डालना। उन्होंने सदस्य देशों से इस अवसर का लाभ उठाने का आह्वान किया ताकि जड़ जमाई गई स्थिति को तोड़ सकें, और व्यावहारिक कदमों के माध्यम से सुरक्षा परिषद सुधार को बढ़ावा दें, जो आज की दुनिया की पूर्ण विविधता का प्रतिनिधित्व करती हो।

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