जल्द भरे जा सकते हैं उत्तराखंड मंत्रिमंडल में खाली चल रहे मंत्रियों के पद, इसी महीने बांटे जा सकते हैं दायित्व

जल्द भरे जा सकते हैं उत्तराखंड मंत्रिमंडल में खाली चल रहे मंत्रियों के पद, इसी महीने बांटे जा सकते हैं दायित्व

देहरादून। लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड मंत्रिमंडल में खाली चल रहे चार मंत्रियों के पद भरे जा सकते हैं। ऑपरेशन सिलक्यारा की चुनौती से निपटने के बाद सियासी हलकों में इसकी चर्चा तेज हो गई है। सिर्फ मंत्री पद ही नहीं कुछ और भाजपा नेताओं को इसी महीने दायित्व दिए जाने की संभावना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचे। उनके इस दौरे को भी इन दोनों संभावनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री निवेशक सम्मेलन का न्योता देने के लिए नई दिल्ली गए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस दौरान वह कैबिनेट विस्तार समेत कुछ और दायित्व बांटे जाने पर चर्चा कर सकते हैं।

सीएम राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम समेत कई अन्य केंद्रीय नेताओं से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने पूछे जाने पर कैबिनेट विस्तार और दायित्व आवंटन की संभावना से इंकार नहीं किया है। हालांकि उनका कहना है कि इन दोनों फैसलों को लेने का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री को है। इन दोनों मुद्दों पर हाल ही में चर्चा हुई है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की भी इच्छा है कि लोकसभा चुनाव में जाने से पहले प्रदेश मंत्रिमंडल में खाली पदों को भर दिया जाए। इसकी एक वजह सरकार में एक मंत्री को कुमाऊं की एक लोस सीट से चुनाव में प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना से भी जोड़कर देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश सरकार में विभिन्न बोर्डों, निगमों और आयोगों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों के खाली पदों पर पार्टी कई नेताओं की ताजपोशी कर चुके है। अब तक दायित्वों की दो सूचियां जारी हो चुकी हैं।

प्रदेश अध्यक्ष भी पूर्व में दायित्व की चार सूचियां जारी होने के संकेत दे चुके हैं। सिलक्यारा टनल संकट से उबरने के बाद अब दायित्व मिलने की राह देख रहे भाजपा नेताओं की निगाहें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर लगी हैं। अभी भी प्रदेश सकार के निगमों, बोर्डों और कुछ आयोगों में अध्यक्षों, उपाध्यक्षों व सदस्यों के पद खाली हैं। इन खाली पदों पर कई पार्टी नेताओं की नजरें हैं। इसके लिए वे अपनी-अपनी पहुंच के हिसाब से मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों, सांसदों के चक्कर लगा रहे हैं।

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